यूपी निर्विरोध चुने BJP के 21 जिला पंचायत अध्यक्ष, मुलायम के गढ़ में नहीं मिला कोई उम्मीदवार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा और सपा के बीच शह-मात का खेल जारी है। यूपी के 75 जिलों में से 22 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए हैं। सत्ताधारी भाजपा ने भले ही 21 जिलों अपना कब्जा जमाने में कामयाब रही हो, लेकिन मुलायम सिंह यादव के गढ़ इटावा में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए उसे कोई उम्मीदवार नहीं मिला। यहां सपा अपना किला बचाने में सफल रही। इटावा से मुलायम सिंह के भतीजे व सपा प्रत्याशी अभिषेक यादव उर्फ अंशुल यादव निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष घोषित किए गए हैं। वहीं, बाकी 53 जिलों के लिए 3 जुलाई को मतदान और मतगणना होगी। राज्य में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में अपनों को जिताने की होड़ में एक बार फिर चाचा-भतीजे के अघोषित तालमेल ने इटावा में भाजपा के अरमानों पर पानी फेर दिया है।

सपा ने इटावा जिला पंचायत में निर्विरोध जीत दर्ज कर अपने 32 सालों से कायम वर्चस्व को बरकरार रखा है। साल 1987 में पहली बार इटावा जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मुलायम परिवार ने जीत दर्ज की थी, उसके बाद से लगातार यह सीट सपा के कब्जे और परिवार के पास है। हालांकि, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पिछले दिनों में इटावा जिला पंचायत पर पार्टी को जीत दिलाने और सपा के गढ़ में भगवा ध्वज लहराने का दावा किया था।

मुलायम सिंह यादव के गढ़ में इटावा में भाजपा 2017 के विधानसभा चुनाव में दो सीटों और 2014-2019 में इटावा संसदीय क्षेत्र पर काबिज होने के बाद भी महज एक जिला पंचायत सदस्य ही जिता पाई है। इटावा में कुल 24 जिला पंचायत सदस्य हैं, जिनमें से 9 सपा, 8 प्रसपा, 1 बसपा, 1 भाजपा से और 5 निर्दलीय जीते थे। ऐसे में भाजपा मुलायम सिंह के इलाके में सेंध लगाने के लिए भाजपा ताना-बाना बुनने लगी थी। शिवपाल-अखिलेश के साथ आ जाने के भाजपा इसे अमलीजामा नहीं पहना सकी और सपा के अंशुल यादव निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुन लिए गए।

अंशुल यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। वह इससे पहले भी जिला पंचायत अध्यक्ष रहे हैं। अंशुल यादव की जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट को बचाने में शिवपाल सिंह की अहम भूमिका रही। इटावा में चाचा-भतीजे ने अपने सदस्यों के साथ-साथ निर्दलीय सदस्यों को भी अपने खेमे में जोड़ लिया।

सपा की रणनीति के चलते इटावा में भाजपा को जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए प्रस्तावक तक नहीं मिल सका, जिसके चलते भाजपा नामांकन तक नहीं कर सकी और सपा के अंशुल यादव को वाकओवर मिल गया। इटावा जिला पंचायत पर तीन दशक से ज्यादा से सपा का कब्जा है। 1989 में सपा के प्रो। रामगोपाल यादव जिला पंचायत अध्यक्ष बने थे। इसके बाद शिवपाल यादव अध्यक्ष बने। 2006 में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई राजपाल सिंह यादव की पत्नी प्रेमलता यादव जीतीं। उन्होंने दो कार्यकाल पूरे किए और 2016 में उनके बेटे अंशुल जिला पंचायत अध्यक्ष बने। इस बार भी जिला पंचायत की कुर्सी पर अंशुल यादव काबिज हो गए हैं।