रजत से संतुष्ट नहीं हैं पहलवान रवि दहिया

टोक्यो। टोक्यो ओलिंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाले भारतीय पहलवान रवि दहिया ने कहा है कि वह पदक से खुश जरुर हैं पर संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि उनका लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना था। रवि ने पुरुष वर्ग के 57 किग्रा फाइनल के बाद कहा कि यह रजत पदक उन्हें कभी संतोष नहीं देगा हालांकि उनका प्रदर्शन भारतीय कुश्ती के लिए काफी महत्व रखता है।

दहिया ने कहा, ‘मैं रजत पदक के लिए टोक्यो नहीं आया था। इससे मुझे संतुष्टि नहीं मिलेगी। शायद इस बार मैं रजत पदक का ही अधिकारी था क्योंकि रुस ओलंपिक समिति के जवूर युगुएव बेहतर पहलवान साबित हुए। रवि ने विश्व चैंपियन युगुएव के रक्षण को तोड़ने के लिए अपनी तरफ से पूरे प्रयास किये पर नाकाम रहे।

दो बार के एशियाई चैंपियन रवि ने कहा, ‘उसकी शैली बहुत अच्छी थी और वह चालकी से लड़ रहा था। वहीं मैं अपने हिसाब से कुश्ती नहीं लड़ पाया। मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि कि क्या किया जाए हूं।

रवि से जब पूछा गया कि उनका रजत पदक भारतीय कुश्ती के लिए क्या मायने रखता है तो वह उत्साहित हो गए। उन्होंने कहा, ‘वो तो ठीक है पर रजत पदक लेकर आराम से नहीं बैठ सकता। मुझे अपनी एकाग्रता बनाए रखनी होगी और अपनी तकनीक पर काम करना होगा और अगले ओलिंपिक खेलों के लिए तैयार रहना होगा।

रवि के पिता राकेश ने उन्हें यहां तक पहुंचाने के लिए काफी त्याग किये है। वह अब भी परिवार को चलाने के लिए पट्टे पर लिए गए खेतों पर काम करते हैं। वहीं अब रवि को हरियाणा सरकार ने चार करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार देने की घोषणा की है।