राजनीति में हो योग, लेकिन योग में न हो राजनीति: रामदेव
नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा 8वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित योग सप्ताह के दूसरे दिन पतंजलि आयुर्वेद और योगपीठ, हरिद्वार के संस्थापक योग ऋषि स्वामी रामदेव ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। इस दौरान उन्होने योग के विषय में विस्तार से बताने व योगाभ्यास करवाने के साथ-साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस दौरान उनके साथ केंद्रीय संस्कृति एवं संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। दिल्ली विश्वविद्यालय स्टेडियम के बहुउद्देशीय हॉल में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में संबोधित करते हुए योग ऋषि स्वामी रामदेव ने कहा कि योग राजनीति में भी होना चाहिए, लेकिन योग में राजनीति नहीं होनी चाहिए।
स्वामी रामदेव ने कहा कि योग बड़ा सहज काम है इसलिए इसे सहज योग और सहज समाधि कहा गया है। समाधि अष्टांग योग है। उन्होने योग पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि योग आत्म अनुशासन है, आत्म प्रेरणा है और आत्म विश्लेषण के साथ इसके बहुत से आयाम हैं। शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहना तथा अपने मन, विचार व भावनाओं को काबू में रखना ही योग है।
उन्होने तीन विषयों योग का बोध, योग का अभ्यास और योग का आचरण पर विस्तार से बात की। स्वामी रामदेव ने बताया कि उन्होने 4 वेदों, 113 उपनिषदों, रामायण, महाभारत, पुराणों और श्री मदभगवद गीता में लाखों श्लोक सूत्र मंत्र पढे हैं जिनमें से 10 हजार से ज्यादा उन्हें याद हैं। स्वामी रामदेव ने योगाभ्यास के दौरान प्राणायाम और आसन का 5-5 का पैकेज दिया। उन्होने बेसिक योग के साथ एडवांस योग और थेरापीटीक योग भी सिखाया। उन्होने कहा कि इस पर उन्होने रिसर्च किया है और 500 से अधिक रिसर्च पेपर पब्लिश किए हैं। योग से शरीर बल बढ़ता है और बॉडी फिट रहती है।
स्वामी रामदेव ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय बहुत बड़ा नाम है। यह सौ साल का विश्वविद्यालय है। उन्होने कहा कि उन्होने शिक्षार्जन के दौरान कभी विश्वविद्यालय का गेट तक नहीं देखा, वह तो गुरु शिष्य परंपरा में पेड़ के नीचे पढ़ने वाले विद्यार्थी रहे हैं, लेकिन आज वे पतंजलि विश्वविद्यालय के आजीवन चांसलर हैं। उन्होने कहा कि वह 100 साल तक इसके माध्यम से एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ाकर और देशभक्त नागरिक बनाकर इस दुनिया से जाएंगे।