मां की त्वचा ने बचाई बेटे की जान: एअर इंडिया हादसे में घायल शिशु स्वस्थ

Air India crash baby rescued
एअर इंडिया हादसे में झुलसे आठ महीने के शिशु को मां की त्वचा से मिला जीवनदान। पांच हफ्ते के इलाज के बाद मां-बेटे को अस्पताल से छुट्टी।
एअर इंडिया विमान हादसे के सबसे कम उम्र के पीड़ित आठ महीने के ध्यांश की जान उसकी मां मनीषा कछाड़िया की हिम्मत और ममता ने बचा ली। हादसे में 36 प्रतिशत तक झुलसे ध्यांश को उसकी मां ने न सिर्फ आग से बचाया बल्कि अपने शरीर की त्वचा भी दान दी, जिससे उसका जीवन बच सका।
डॉक्टरों के मुताबिक
मनीषा खुद भी 25% जल गई थीं, लेकिन फिर भी उन्होंने त्वचा प्रतिरोपण (Skin Grafting) के लिए अपने शरीर की त्वचा दी ताकि उनके बेटे के जख्म भर सकें। अहमदाबाद के केडी अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन डॉ. रुत्विज पारिख ने बताया कि मां की त्वचा से ध्यांश के थर्ड डिग्री बर्न घावों का इलाज किया गया, जो पूरी तरह सफल रहा।
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यह हादसा 12 जून को हुआ, जब एअर इंडिया की फ्लाइट संख्या 171 बीजे मेडिकल कॉलेज के छात्रावास परिसर पर गिरकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस त्रासदी में 260 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें विमान में सवार 241 लोग और जमीन पर मौजूद अन्य शामिल थे।
दुर्घटना के समय ध्यांश के पिता कपिल कछाड़िया, जो बीजे मेडिकल कॉलेज में यूरोलॉजी के सुपर-स्पेशलिटी कोर्स में हैं, अस्पताल में थे। वहीं, मनीषा और उनका बेटा फ्लैट में मौजूद थे। भीषण आग लगने के बावजूद मनीषा ने चोट लगने के बाद भी बेटे को गोद में उठाया और किसी तरह बाहर निकलने में सफल रहीं।
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पांच हफ्तों तक चले इलाज के बाद अब मां-बेटा दोनों को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। यह घटना मातृत्व की शक्ति, साहस और विज्ञान के अद्भुत मेल की मिसाल बन गई है।