भारत को फिर चाहिए 1991 जैसे साहसिक आर्थिक सुधार: खरगे

Manmohan Singh 1991 budget impact
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 1991 जैसे आर्थिक सुधारों की फिर जरूरत है। उन्होंने मोदी सरकार पर विकास दर घटाने और असमानता बढ़ाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने गुरुवार को देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति को लेकर चिंता जताई और कहा कि भारत को आज फिर से वैसी ही गंभीर और व्यापक आर्थिक सुधारों की आवश्यकता है, जैसे 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने ऐतिहासिक बजट के ज़रिए किए थे।
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खरगे ने आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में सरकार की आर्थिक नीतियां जड़ता और दूरदर्शिता की कमी का शिकार हो गई हैं, जिससे देश की आर्थिक वृद्धि दर कम हुई है, और असमानता, बेरोजगारी, और घटती घरेलू बचत जैसी समस्याएं गंभीर हो गई हैं।
उन्होंने कहा,
वेतन वृद्धि ठहर गई है, युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा, मध्यम वर्ग और गरीब जनता आर्थिक दबाव में है। आर्थिक फैसले कुछ चुनिंदा ‘करीबी दोस्तों’ को फायदा पहुंचाने के इर्द-गिर्द केंद्रित हो गए हैं
1991 के सुधारों ने बदला था भारत का भविष्य
खरगे ने याद दिलाया कि 24 जुलाई 1991 का बजट भारत के इतिहास का एक टर्निंग पॉइंट था, जहां पी.वी. नरसिंह राव और डॉ. मनमोहन सिंह के मार्गदर्शन में भारत ने उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की दिशा में कदम बढ़ाए। इसी बजट ने आने वाली पीढ़ियों के लिए मध्यम वर्ग और निजी क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त किया।
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अब वक्त है दूसरी पीढ़ी के सुधारों
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि देश को फिर एक बार साहसिक, दूरदर्शी और समावेशी आर्थिक नीति की ज़रूरत है जो मध्यम वर्ग, युवाओं और वंचित तबकों को सशक्त बना सके।