चीन ने रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास में दिखाई रुचि

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नई दिल्ली। एक ओर भारत चीन सीमा पर चीन आपने सैनिकों के साथ घुसपैठ कर रहा है। वहीं दूसरी ओर भारतीय रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए चीन प्रस्ताव भेज रहा है। चीन ने भारतीय सीमा क्षेत्र जम्मू और नार्थ-ईस्ट के स्टेशनों का विकास करने का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा है। हालांकि रेल मंत्रालय ने चीन के इस प्रस्ताव को ठुकराया दिया है।

पहले चरण में बिजवासन, आनंद विहार, अमृतसर, चंडीगढ़, फरीदाबाद समेत २३ स्टेशनों को विश्व स्तरीय बनाया जाएगा। बुलेट ट्रेन परियोजना में जापान की मदद लेने से भारत से चीन पहले ही चिढ़ा हुआ है।

अब रेल मंत्रालय ने चीन के उस प्रस्ताव को भी नकार दिया है, जिसमें भारत के स्टेशनों के पुनर्विकास की चीन ने इच्छा जताई है। मंत्रालय ने चीन को स्पष्ट कहा है कि अगर भारतीय स्टेशनों का पुनर्विकास करना है तो जम्मू, नार्थ ईस्ट इलाके को छोड़ झांसी स्टेशनों का विकास करे, हालांकि इसके लिए भी टेंडर की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

रेल मंत्रालय इन दिनों डेवलपर्स से उनके डिजाइन और व्यावसायिक सुझावों के साथ प्रस्ताव आमंत्रित कर रहा है। स्टेशन पुनर्विकास की लागत को स्टेशनों और उसके आसपास की भूमि का व्यावसायिक विकास करके पूरा किया जाएगा। इस योजना के तहत दक्षिण कोरिया ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास में भागीदार बनने के लिए गहन रुचि दिखाई है। हालांकि पुनर्विकास के मॉडल को अभी अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

इस योजना के तहत रेलवे 400 रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास करेगा। पहले चरण में 23 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाएगा। दूसरा चरण जून में शुरू किया जाएगा। इस दौरान 100  स्टेशनों के विकास के लिए टेंडर किया जाएगा, तीसरे चरण में 250 स्टेशनों को विकास के लिए चुना जाएगा।

यह प्रक्रिया दिसंबर में पूरी की जाएगी। इसके लिए रेलवे ने बोस्टन कंसल्टिंग गु्रप को बतौर सलाहकार नियुक्त किया है। रेलवे की यह एक लाख करोड़ की सबसे बड़ी पीपीपी योजना है।

इसके तहत रेलवे स्टेशन व आसपास के 2200 एकड़ भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा। पहले चरण में बिजवासन, आनंद विहार, अमृतसर, चंडीगढ़, फरीदाबाद समेत 23 रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तरीय सुविधा से लैस किया जाएगा।

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