कमांडरों से हर वक्त तैयार रहने की अपील की- अरुण जेटली

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नई दिल्ली। नई दिल्ली में आज सुबह ४ दिवसीय नौसेना कमांडरों का सम्मेलन आरंभ हुआ। रक्षामंत्री अरुण जेटली ने नौसेना कमांडरों को संबोधित किया। आरआरएम डॉ. सुभाष भामरे, रक्षा सचिव एवं रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ नौसेना कमांडरों से बातचीत की।

रक्षामंत्री ने भारतीय नौसेना को उसके पेशेवर रवैये तथा देश के सामुद्रिक हितों की रक्षा करने के प्रति उसकी गहरी प्रतिबद्धता की सराहना की। उन्होंने देश की विशाल सामुद्रिक सीमा तथा देश की रक्षा राजनयिक आवश्यकताओं के अनुरूप बड़ी संख्या में अंतरराष्ट्रीय दायित्व के पालन के लिए भी नौसेना की सराहना की।

रक्षामंत्री ने उपमहाद्वीप में व्याप्त तथा उभरती सुरक्षा स्थिति और साथ ही हिंदमहासागर क्षेत्र में अतिरिक्त क्षेत्रीय शक्तियों की विस्तारित होती उपस्थिति के बारे में चर्चा की। उन्होंने पश्चिमी सीमा की स्थिति तथा आंतरिक सुरक्षा के साथ इसके संबंधों की भी चर्चा की। उन्होंने कमांडरों से हर वक्त तैयार रहने की अपील की, क्योंकि ‘तैयारी ही सबसे बड़ा बचाव है।

भारतीय सेना की विभिन्न अहम आवश्यकताओं को स्वीकार करते हुए रक्षामंत्री ने कमांडरों को भरोसा दिलाया कि सरकार सभी मुद्दों पर बहुत सकारात्मक रूप से कार्य कर रही है और कमियों को पूरा करने के लिए संसाधनों को बढ़ाने जा रही है।

रक्षामंत्री ने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के प्रयासों की सराहना की तथा कमांडरों से घरेलू विशेषज्ञता निर्माण को बढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करने का आग्रह किया।

रक्षामंत्री ने अपने संबोधन के समापन में कहा कि महत्वपूर्ण क्षमता निर्माण जैसे-शिप बॉर्न मल्टी रोल हैलिकॉप्टर्स (एमआरएच), पारम्परिक पनडुब्बियों तथा माईन काउंटर मेजर वेसेल्स (एमसीएमवी) की कमियों को दूर करने के लिए उपयुक्त रक्षा खरीद नीतियों (जैसे कि एसपी मॉडल जिसे जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा) के जरिए उचित प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

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