आर्थिक मोर्चा पर केन्द्र के झटके से नहीं उबर पा रही नाथ-सरकार

भोपाल। आर्थिक मोर्चा पर केन्द्र सरकार द्वारा मप्र को मिलने वाली राशि में भारी कटौति किए जाने से जो झटका लगा है उससे नाथ सरकार उबर नहीं पा रही है। यही वजह है कि सरकार को ऑल्टरनेट प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग वर्कशॉप का आयोजन कर योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया को प्रदेश की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए सुझाव देने बुलाना पड़ा है। इस पर भाजपा ने प्रदेश सरकार को निशाने पर लेते हुए इस कदम की आलोचना की है। इालांकि इस दौरान भाजपाई यह भूल गए कि केंद्र से फंड में कटौती और पिछले कर्ज की वजह से प्रदेश सरकार की आर्थिक हालात नाजुक है।

बीते साल के दौरान केंद्र सरकार ने मप्र के हिस्से में से करीब 31,140 करोड़ की राशि जारी नही की है। इस राशि के अभाव में किसानों की कर्जमाफी, बोनस और विकास कार्यों में बाधा खड़ी हो गई है। वक्त है बदलाव के नारे के साथ सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कई कदम उठाए हैं।

यही वजह है कि ऐ साल की अवधि में ही सरकार ने वचन पत्र के 365 से अधिक वादे पूरे कर दिए हैं। लेकिन इस दौरान केंद्र सरकार द्वारा लागाए जा रहे रोड़े मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।

गौरतलब, है की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान वित्तीय अराजकता के चलते प्रदेश पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। ऐसे में केंद्र सरकार के उपेक्षापूर्ण रवैए, केंद्रीय करों में कटौती और केंद्र से मिलने वाले फंड को रोके जाने से मप्र सरकार के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया है।

लगातार भेदभाव कर रहा केंद्र
मप्र में जब से सत्ता परिवर्तन के बाद से ही प्रदेश की कांग्रेस सरकार को केंद्र की मोदी सरकार ने सबसे बड़ा झटका विभिन्न योजनाओं के लिए दी जाने वाली राशि को रोक कर दिया है। वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार केंद्रीय योजनाओं के तहत मिलने वाले राज्य के 31,139.81 करोड़ रुपए मोदी सरकार ने जारी नहीं किए हैं। 12 से अधिक योजनाओं का पैसा केंद्र सरकार ने अटका दिया है।

प्रयासों के बाद भी मिल रहा सिर्फ आश्वासन
प्रदेश के हिस्से की लंबित राशि को जारी करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री और मंत्री लगातार केंद्र सरकार के मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर हर केंद्रीय मंत्री ने आश्वासन दिया है कि जल्द ही राशि जारी कर दी जाएगी। लेकिन एक साल से अधिक का समय हो जाने के बाद भी राशि जारी नहीं की जा रही है।

सैकड़ो योजनाएं होंगी बंद
केन्द्र से आर्थिक मोर्चा पर असहयोग के चलते प्रदेश सरकार सैकड़ो योजनाएं बंद करने की तैयारी कर रही है। इसके बाद सरकार नए सिरे से तय करेगी कि इनमें से कौन सी योजनाएं बंद करना है और कौन सी नए रूप में चालू रखना है। सरकार ने बड़ी संख्या में अनुपयोगी योजनाओं को बंद करने की तैयारी कर ली है। सूत्रों के अनुसार ऐसी योजनाएं जिनके संचालन में केंद्र और राज्य सरकार के फंडिंग का रेशो क्रमश: 60-40 प्रतिशत है उनमें से अनुपयोगी हो चुकी योजनाओं को बंद किया लाएगा।

इन योजनाओं का पैसा अटका
योजना रूकी राशि(करोड़ में)
मनरेगा- 1,900
प्रधानमंत्री आवास योजना(ग्रामीण)-2,209
प्रधानमंत्री आवास योजना(शहरी)-2,332.40
अमृत योजना- 208
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन- 446.81
फूड सब्सिडी- 700
फसल बीमा योजना- 2,800
जीएसटी मुआवजा- 1,502
ऊर्जा प्रणाली की मजबूती के लिए- 1,400
सौभाग्य योजना- 70
राष्ट्रीय प्रेयजल कार्यक्रम- 571.60
केंद्रीय करों के हिस्से की राशि- 17,000