कोर्ट ने अपराधी के पछतावा जताने पर सजा देने में दी ढील

Those challenging the promotion of Justice Dipak Misra will have to pay a fine of 5 lakhs
नई दिल्ली। दिल्ली कोर्ट ने छुरेबाजी के एक मामले में अपराधी के खिलाफ सजा देने में ढिलाई बरतते हुए जेल में बिताए हुए दिनों को सजा में बदल दिया क्योंकि पीड़ितों ने उसके खिलाफ अतिरिक्त कार्रवाई नहीं करना चाहा। कोर्ट ने दो लोगों को छुरे भोंकने के मामले में दोषी ठहराए गए।
२० साल के युवक अंकित के पछतावे पर भी ध्यान दिया और कहा कि उसे जेल भेजने से वह आदतन अपराधियों के संपर्क में आ सकता है और उसके सुधरने का मौका खत्म हो सकता है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनोज जैन ने कहा कि दोनों पीड़ित भी अंकित की खराब आर्थिक स्थिति के मद्देनजर उसके खिलाफ और कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते।
न्यायाधीश ने कहा कि पीड़ितों में से एक अजय ने कोर्ट को बताया कि किसी आर्थिक समर्थन के अभाव में अंकित के पिता भीख मांग रहे हैं। दोनों घायलों ने कहा कि वे अंकित से कोई मुआवजा नहीं चाहते। इसके मद्देनजर कोर्ट ने अंकित को सात महीने की सजा सुनाई जो वह पहले ही काट चुका था।