बंगालियों के सम्मान में सड़कों पर ममता, ‘अवैध प्रवासी’ ठहराए जाने का किया विरोध

Mamata Banerjee protest
“बंगालियों से भाषाई भेदभाव” अब केवल एक सामाजिक मुद्दा नहीं रह गया, यह राजनीतिक और चुनावी विमर्श का केंद्र बन गया है।
कोलकाता – पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को एक बड़े जनप्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिसका उद्देश्य भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी नागरिकों के साथ हो रहे भाषाई भेदभाव और कथित उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ उठाना था। यह प्रदर्शन ऐसे समय हुआ है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य दौरे से पहले राज्य की राजनीतिक सरगर्मी तेज़ हो गई है।
ममता बनर्जी का सड़कों पर मार्च
कॉलेज स्क्वायर से धर्मतला तक हुए इस मार्च में हजारों की संख्या में समर्थक शामिल हुए, जिसका नेतृत्व ममता बनर्जी ने खुद किया। तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कई वरिष्ठ नेता जैसे अभिषेक बनर्जी भी इस प्रदर्शन में मौजूद रहे। लगभग तीन किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।
सोलह सोमवार व्रत 2025 – सावन में शिवभक्ति, पूजा विधि और व्रत का महत्व
भाषाई भेदभाव और अवैध घुसपैठ का आरोप
तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि कुछ भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी लोगों को ‘अवैध प्रवासी’ बताकर भाषाई भेदभाव और संवैधानिक उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है। पार्टी का यह भी कहना है कि लोगों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया जा रहा है और उनकी बंगाली पहचान को मिटाने की साजिश चल रही है।
ओडिशा, दिल्ली और असम की घटनाएं बनीं प्रदर्शन की वजह
हाल ही में ओडिशा में प्रवासी मजदूरों की गिरफ्तारी, दिल्ली में अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई और असम में कूच बिहार के एक किसान को विदेशी न्यायाधिकरण से नोटिस मिलने की घटनाओं ने बंगाल की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। ममता बनर्जी ने इसे “बंगाली अस्मिता पर हमला” बताया।
IND vs ENG 4th Test: सीरीज बचाने उतरेगी बदली हुई टीम इंडिया, प्लेइंग इलेवन में होंगे बड़े बदलाव
बंगाल चुनाव की तैयारी और TMC की रणनीति
2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस ने अपनी रणनीति को तेज़ किया है। भाषाई मुद्दों पर यह आक्रामक रुख दिखाता है कि पार्टी चुनावी रणनीति में “बंगाली गर्व और पहचान” को केंद्र में रखेगी।
शुभेंदु अधिकारी का पलटवार: “बाहरी घुसपैठियों को बचा रही हैं ममता”
विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उनका यह आंदोलन “बांग्ला भाषी रोहिंग्याओं और अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों” को बचाने की कोशिश है। उन्होंने पूछा कि ममता सरकार ने राज्य में भ्रष्टाचार के कारण बर्खास्त शिक्षकों के लिए कुछ क्यों नहीं किया, जबकि वे भी बंगाली ही हैं।
नौकरशाही में पक्षपात का आरोप
शुभेंदु अधिकारी ने यह भी सवाल उठाया कि बंगाली अधिकारियों को शीर्ष पदों से वंचित कर बाहरी राज्यों के अधिकारियों को प्राथमिकता क्यों दी जा रही है? उन्होंने IPS अधिकारी संजय मुखोपाध्याय और नौकरशाह अत्री भट्टाचार्य व सुब्रत गुप्ता के उदाहरण देकर सरकार की नियुक्तियों पर सवाल उठाए।